प्रिय वाचक मित्रो,
पीली कोठी का खून का प्यासा शयतान उपन्यास का प्रथम चेप्टर रखा था जिसे आपने खूब सराहा है, इस के लिए आप सब का दिल से धन्यवाद। आज दूसरा चेप्टर रखता हु। आशा रखता हु की आप इसे भी सराहेंगे। कृपया शेर, फॉलो और टिप्पणी करना न भूले।
2 मूसिबत आई
दादी मां के अनुसार बरसों पहले
यहां राजा विक्रम सिंह का राज था। वह बहुत
ही भले और प्रजा की सेवा करनेवाले राजा
थे। उन्होंने ही इस
पीली कोठी का सर्जन करवाया था। अचानक राजा की अपने
राज्य को बड़ा बनाने की लालसा जाग उठी, उन्होने अपनी सेना
बढ़ा दी और आजू बाजू के इलाको पर चढ़ाई करके अपने
राज्य की सीमा बढ़ाना शुरू कर दिया।
अपने राज्य की
सीमा बढ़ा कर उसे एक बड़ा साम्राज्य बनाने की और दूसरे राजाओं
पर विजय प्राप्त करने चाह
मे राजा एक तांत्रिक की शरण
में गया। तांत्रिक काली विध्या
का जानकार तो था पर साथ
ही वह स्वार्थी और कपटी भी था।
वह अमर होना चाहता था, उसने अमर होने का रास्ता ढूंढ लिया था। अपने इस काम
के लिए तांत्रिक ने रजो को अपने
वश में कर लिया। इस तांत्रिक की संगत
में राजा जुल्मी
बन गया। तांत्रिक अपने शिष्यों के साथ लाल
पहाड़ की गुफा में रहता और राजा शराब सुंदरी की संगत
में पीली
कोठी मे। तांत्रिक अपने काम के लिए हर
अमावस को नरबली चढ़ता था और इसका पूरा इंतजाम राजा ही करता
था। पूरा राज्य त्राहिमाम हो गया ।
राजा विक्रम सिंह के पत्नी महारानी
कनकबा एक शेरनी थी, उनका अपनी प्रजा के लिए प्रेम
सबको विदित था, उनसे अपनी प्रजा पर होते जुल्म देखे न जाते
थे। राजा विक्रम सिंह शराब सुंदरी की संगत
में और
तांत्रिक
के बताए जुल्मों को
अंजाम देने मे व्यस्त रहते थे। लेकिन हकीकत तो यह थी कि राजा महारानी के पास भीगी बिल्ली
बन जाता था, वह महारानी के सन्मुख भी
खड़ा रह नहीं पाता था। उसमें वह ताकत आएगी
भी कैसे क्योंकि
महारानी के पास अपनी पूजा पाठ प्रभाव
था जब की राजा विक्रम सिंह काली विद्या की परछाई।
महारानीने अपनी
प्रजा को इस जुल्मी राज से छुड़ाने का मन बना लिया। वह किसी भी किंमत पर अपनी प्रजा को खुशहाल
देखना
चाहती थी, फिर चाहे यह करने मे अपने पुत्र के पिता की बलि क्यू
न देनी पड़े प्रजा के सुख के
लिए वह पूरी तरह से तैयार थी। पहले
तो उन्होंने राजा को समझाने
की भरपूर कोशिश की लेकिन वह नाकाम रहे। इसी कोशिश मे उन्होंने
पीली कोठी को छोड़कर नजदीक में मेहमानो
के लिए बनाया गया आराम भवन मे रहना शुरू किया, लेकिन इससे तो राजा को बहोत अच्छा लगा। आख़िर महारानी की समझ यह
बात में आ गई जब तक तांत्रिक जीवित है प्रजा की परेशानिया
खत्म
नहीं होगी, उन्होंने
तांत्रिक को मारने के लिए इलाज ढूंढना शुरू कर दिया।
महारानी ने सब जगह पर ढूंढा, सब जगह पर ढूंढते ढूंढते उनकी नजर नैनपुर
पर ही
टिकी।
यही नैनपुर जहां से तांत्रिक काली विद्या का आह्वान
करता
था, यहीं पर राजा विक्रम सिंह जुल्म करता था, और यहीं
पर
महारानी ने तांत्रिक को खतम करने के लिए किसी को ढूंढ लिया था। उसका नाम था मंगतराम। पंडित मंगत राम, धार्मिक क्रिया, शास्त्र और मंत्र विध्या मे माहिर थे, वे एक
तपस्वी का जीवन जीते थे, उनको अपने पूजा-पाठ होम-हवन
से फुरसद न थी, वह नैनपुर मे अपनी पत्नी शारदा
देवी और पुत्र के साथ रहते थे। उनका यह छोटा
सा परिवार खुशहाल
था। महारानी
स्वयं पंडित मंगत राम से मिलने गए और उनको समझाने
का प्रयत्न किया। प्रथम तो पंडित
मंगत राम ने स्पष्ट रूप से मना कर दिया पर महारानी की प्रार्थना ओं का वह अस्वीकार
न कर सके।
अपनी शक्तिओ से पंडित
ने तांत्रिक
के बारे में सब जानना शुरू
कर दीया और जो परिणाम सामने आया वह
तो खुद पंडित के लिए भी भयजनक
था। उनकी सूचना
के हिसाब से राजा, महारानी
और राजकुमार के साथ पूरा राज्य एक बड़ी
मुसीबत के कगार पर खड़ा था। अगर तांत्रिक अपने
काम में सफल हो जाए तो इस राज्य
को कोई बचा नहीं सकता था।
तांत्रिक एक बूढ़ा इंसान
था, उसका जिस्म उसे
साथ नहीं दे रहा था। अपार
शक्तियों का यह स्वामी अमर होने की विधि जान चुका था, परकाया प्रवेश की विध्या
जाननेवाला यह तांत्रिक एक मजबूत और शक्तिशाली
युवान जिस्म ढूंढ रहा था, अगर उसे यह मिल
जाए तो वह इस बूढ़े शरीर को छोड़कर नए मजबूत
और शक्तिशाली
युवान जिस्म मे अमर होना चाहता था। तांत्रिक को
राजा का युवान, बलवान
शरीर पसंद आ गया था, उसने ने
अपनी शक्तियां राजा के जिस्म मे इकठ्ठा करना
शुरू कर दिया था। वैसे इस बात का पता तो स्वयं राजा को भी नहीं था।
हर
अमावस को तांत्रिक राजा के शरीर में प्रवेशकर
अपनी काली
विद्या की देवी को नर बलि चढ़ा था और बचा हुआ प्रसाद भी ग्रहण
करता था।
पंडित मंगतराम तांत्रिक की सभी
गतिविधियों से वाकेफ हो गए। उन्हे
तांत्रिक
की
मुरादों का पता चल गया। वह सोच ने लगे की तांत्रिक अभी
राजा के जरिए जुल्म करता है, जब वह अपने कार्य मे सफल
हो जाएगा तो वह अमर राजा
बन कर ज्यादा जुल्म ढाएगा। फिर तो महाविनाश होगा।
इस कल्पना
मात्र से ही पंडित को कपकपी आ गई।
तांत्रिक की शक्तियों के
बारे में पंडित सब जान चुके थे और वह यह भी समझ गए की तांत्रिक का मुक़ाबला करना उनके बस में नहीं है, वह तांत्रिक को नहीं मार
शकते। तांत्रिक को मारने के लिए उन्हे बहुत ज्यादा
साधना करनी पड़ेगी और इतना वक्त उनके
पास नहीं था। आने वाली अमावस तांत्रिक
के नरबलि की आखरी अमावस थी, इसके बाद वह अमर हो जाएगा। खूब
सोचने के बाद उन्होंने महारानी को बताया की तांत्रिक को
मारने के लिए वो असमर्थ है।
महारानी बहुत उदास हो गए। प्रजा
को तांत्रिक के जुल्म से छुड़ाने की एक मात्र
आशा भी नष्ट हो गए थी, उनसे प्रजा की परेशानियां देखी नहीं जाती थी और इसका कोई इलाज नहीं था। महारानीने कहा, पंडित जी यह तो अभी शुरुआत है, मुझ से मेरी प्रजा का दु:ख देखा नहीं
जाता, यह तांत्रिक मेरे पति का रूप लेकर मुझे अपवित्र करेगा, इससे तो अच्छा है की मैं पहले समाधि ले लू, जिससे मुझे ऐसे दिन देखने न पड़े।
पंडित महारानी के सामने थोड़ी
देर तक देखते रहे, फिर एक गहरी सांस लेंकर बोले, हाँ महारानी
अब तो मृत्यु ही इस समस्या का एकमात्र उपाय है लेकिन यह मृत्यु आपका नहीं मेरा मृत्यु। अगर मेरे से मृत्यु यह समस्या खत्म हो सकती है, यह पूरा राज्य एक बड़ी मुसीबत से बाहर आ सकता है तो मै शौक से अपने मृत्यु को आमंत्रित करने तैयार हूं।
महारानी चौंक गए, उन्होंने कहा पंडितजी सिर्फ आप ही हो जो इस तांत्रिक के साथ लड़ सकते हो और आप
ही अपने मृत्यु की बात कर रहे हो तो फिर क्या होगा।
पंडित के पास सब जवाब थे, उन्होंने महारानी को समझाया कि इस अमावस को तांत्रिक अपनी देवी को मानवबली जरूर देगा। तांत्रिक किसी और का बली
देने की बजाय मुझे ही अपना बली समझ
कर अपनी देवी को अर्पण करे तो मै एक सिद्ध पंडित हु, ऊपर से मेरे मंत्रकवच से रक्षित रहूँगा, उन लोगो को
ब्रह्महत्या का पाप लगेगा। अगर वो मुझे मार कर मेरा खून पीते है तो तांत्रिक और उसकी
देवी दोनों का नाश हो जाएगा, हमारे राजा तांत्रिक की
काली विध्या से मुक्त हो जाएंगे और यह राज्य एक बड़ी मुसीबत से बाहर आ जाएगा।
क्या इसके सिवा कोई और
इलाज नहीं है महारानी दुःख से बोले ।
जवाब में पंडित ने कहा
नहीं महारानी अब तो सिर्फ एक ही सप्ताह बाकी है, इस अमावस को तांत्रिक अपना आखरी बली देगा और इतने कम समय के अंदर में मेरे सिवा किसी ओर को मंत्रकवच पहनाने की लिए शक्तिमान नहीं हु, इसलिए मुझे ही यह बलिदान देना पड़ेगा वरना बाद में कुछ भी नहीं कर पाऊंगा। मुझे मेरे देश के प्रति अपना फर्ज निभाने का मौक़ा मिला है तो मुझे यह बलिदान देना ही चाहिए। मेरा बेटा अभी छोटा है, लेकिन मेरी पत्नी सारी विध्या जानती है, वह उसे सिद्ध पंडित बना सकती है, मेरे मृत्यु के बाद वह आपको सब मदद करने को शक्तिमान
रहेगी।
लेकिन
इसके लिए मुझे
आपकी बीवी की
मंजूरी भी लेनी
पड़ेगी... महारानी ओर कुछ ओर बोले इस से पहले पंडित की पत्नी शारदादेवी वहाँ आ गए
और बोले, यह क्या कह रहे है महारानी, देश के लिए कुर्बानी देना तो भाग्य की बात है, हर
किसी को यह भाग्य नहीं मिलता, मेरे पति को मिला है तो मै
पीछे नहीं हटूँगी। मुझे अपने पति पर गर्व है, मै भी उनके
पीछे सती हो जाऊँगी, क्योंकि यह मेरा अहोभाग्य होगा।
महारानी
का गला भर आया, उन्होने कहा, मुझे खुशी है की मेरे राज्य मे आप जैसे देशभक्त रहते है। पंडित अपना
बलिदान देने तैयार है, क्या मै आपसे भी कुछ बलिदान मांग सकती
हु? क्या मेरे मांगने पर आप मेरी चाह पूरी करेंगी ?
यह
क्या पुछ लिया महारानी आपने, हम तो आपकी मदद के लिए
ही बने हैं, आप सिर्फ
हुक्म कीजिए मैं अपनी जान भी देने से पीछे नहीं हटूगी, शारदा देवी ने बड़े फ़क्र से कहा।
बस, तो देवी मुझे आपकी जान ही चाहिए, पंडित के मृत्यु के
बाद आप सती हो जाओंगी तो निश्चित रूपसे आपको स्वर्ग ही प्राप्त होगा, इस से तो सिर्फ आपको ही फायदा होगा, जब की इस देश को आपकी जरूरत है, मै आपसे बिनती करती
हूँ की आप सती होने के बजाए इस देश की सेवा करे। पंडित की आंखो मे खुशी के आँसू आ
गए।
देवी
जब पंडित स्वर्ग जाएंगे तो आपके पुत्र को विध्या कौन देगा ? तांत्रिक से सामने लड़ने के लिए जो साधना
पंडित को कम पड़ी है वह आप अपने पुत्र को दीजिए, जिससे आपका
पुत्र पंडित का नाम रोशन करे। आपकी छत्रछाया में मैं मेरे पुत्र को भी रखूंगी
जिससे वह भी कुछ ज्ञान पा सके। आगे चलकर मेरा बेटा राजा
बनेगा और आपका पुत्र इस राज्य का राजपुरोहित। हमारे
इस राज्य को आपको ही ज्ञान से भरना है, इसलिए आपसे मैं आपकी जिंदगी चाहती हूँ। मैं जानती हूं एक स्त्री के
लिए पति के पीछे सती होना उसका स्त्री धर्म है लेकिन आपकी जो जिम्मेदारी है
वह आपको निभानी ही पड़ेगी।
महारानी की दलीलों
के सामने शरदादेवी कुछ बोल ना पाए और पंडित को वचन दिया कि वह उनके
पुत्र को बड़ा महान पंडित बनाएगी।
आगे के लिए अगले सोमवार का इंतझार कीजिए। एक साथ पूरा उपन्यास आप smashword पर जा कर jambustoryworld से खरीद शकते है।
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